Unsolved Mystery: भारत का बरमूडा ट्रायंगल जहां 74 साल में 25 से भी अधिक विमान हादसे हुए।

बरमूडा ट्राएंगल या उत्‍तर अटलांटि‍क महासागर एक ऐसी जगह जिसे 'डेविल्स ट्राएंगल' या 'शैतानी त्रिभुज' भी कहा जाता है, क्‍योंकि यहां सैकड़ों विमान हादसे का शि‍कार या गायब हो चुके हैं। इस रहस्‍य को ‘डि‍कोड’ करने के लिए आज भी वैज्ञानिकों की खोज जारी है, लेकिन ऐसी ही शैतानी त्रि‍भुज के नाम से जानी जाने वाली जगह अगर भारत में भी हो तो।


जी हां, भारत के उड़ीसा में भी एक बरमूडा ट्राएंगल है। इस राज्‍य के अमरदा में ऐसा ही एक ‘मिस्ट्री ज़ोन’ है, जिसके बारे में न तो ज्यादा चर्चा की जाती है और न ही इसकी जांच की गई, इस तथ्य के बावजूद कि यहां कई जिंदगियां खत्‍म हो चुकी हैं। आइए बताते हैं अब तक कब-कब और कैसे हादसे यहां हो चुके हैं।


पिछले 74 सालों में उड़ीसा के मयूरभंज जिले में कम से कम 16 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं, इनमें से ज्‍यादातर लड़ाकू-ट्रेनर थे। यहां अब तक करीब 25 हादसे हो चुके हैं।


दिलचस्‍प बात यह है कि अब तक इन घटनाओं की कोई जांच नहीं की गई। हालांकि भारतीय वायु सेना के सूत्रों का कहना था कि सभी हादसों की जाचं की गई हैं। कुछ जाचें भारत की आजादी और कुछ आजादी के बाद की गई। जो विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए, वे वायुसेना से संबंधि‍त थे, हालांकि इन जांचों के निष्‍कर्ष सुरक्षा से जुडे हैं, इसलिए उन्‍हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।



दरअसल, पश्चिम बंगाल में बांकुरा के पास पियरबोडा से लेकर झारखंड के चाकुलिया तक और उड़ीसा के अमरदा रोड एयरफ़ील्ड में दूसरे विश्व युद्ध के अंतिम सालों में हवाई क्षेत्र स्थापित किए थे। इसके बाद से यहां करीब 16 दुर्घटनाएं हुईं। सबसे पहले 4 मई 1944 को एक घटना दर्ज की गई थी, जब एक अमेरिकी लिबरेटर एक हार्वर्ड डी हैविलैंड विमान से टकरा गया था और अमरदा रोड हवाई क्षेत्र में आग की लपटों में धूआं-धूआं हो गया। इसमें चालक दल के चार लोग मारे गए थे।


7 मई 1944 की रात एक और लिबरेटर जो विशेष मिशन पर डिगरी से रवाना हुआ था, टेक-ऑफ के सिर्फ 20 मिनट बाद ही हादसा हो गया और 10 क्रू मेंबर्स मारे गए।


ठीक इसी तरह एक और डी हैविलैंड फाइटर 13 मई 1944 को अमरदा रोड स्टेशन से टेक-ऑफ करने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, हालांकि चालक दल बच गया था।


28 अक्टूबर 1944 को एक लिबरेटर जो रात में रवाना हुआ था और सालबोनी के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें चालक दल के 8 लोग मारे गए थे। सबसे बड़ी दुर्घटना 26 जुलाई 1945 को हुई थी, जब दो ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स बी -24 लिबरेटर चार-इंजन बमवर्षक, EW225 और EW247- लड़ाकू विमान- कम ऊंचाई पर टकरा गए थे।


मयूरभंज के पूर्व कलेक्टर विवेक पटनायक ने तब बयान दिया था कि एक लड़ाकू विमान 1975 में अमरदा क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, लेकिन आपातकाल की घोषणा की वजह से इसकी सूचना नहीं दी गई थी।

हाल ही में झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के महुलडंगरी गांव में 20 मार्च, 2018 को एक हॉक ट्रेनर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हालांकि इस दुर्घटना में पायलट को पैराशूट की मदद से सुरक्षित रूप से बाहर निकाल दिया गया था। लेकिन यह स्थान अमरदा से मात्र 100 किमी दूर है, जहां है सैकड़ों जिंदगियों को लील जाने वाला भारत का अनसुलझा रहस्य।



I BUILT MY SITE FOR FREE USING